केला एक ऐसा फल है जो बेहद जल्दी खराब होता है और साथ उसका रख-रखाव भी बहुत मुश्किल होता है. लेकिन मुंबई के आलोक अग्रवाल ने केले की खेती और फिर उसके निर्यात से सफलता की नई इबारत लिख दी. आलोक 20 हजार से ज्यादा किसानों के साथ मिलकर महाराष्ट्र में केले की खेती करते हैं जिसमें उनके अपने खेत, कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग और दूसरे किसान भी जुड़े हैं. आलोक को शुरू में केले एक्सपोर्ट करने में कई तरह की परेशानियों का सामना भी करना पड़ा, उनका मुकाबला फिलीपींस और इक्वाडोर जैसे देशों से रहा जो बनाना एक्सपोर्ट में टॉप पर हैं. लेकिन आलोक ने अपनी मेहनत और लगन के दम पर देश के केले को मिडिल ईस्ट के कई देशों में पहुंचाया और जल्द ही वो यूरोपियन देशों में भी केला एक्सपोर्ट शुरू करने वाले हैं.
केले की खेती से बनाई 100 करोड़ की कंपनी!
आलोक अग्रवाल ट्राइडेंटएग्रो के फाउंडर और CEO है. tridentagro मुंबई की एक कंपनी है जो केले एक्सपोर्ट करती है. इस कंपनी के बाग पूरे महाराष्ट्र में फैले हैं और 100 करोड़ रुपये का टर्न ओवर है. कंपनी हर महीने 100 कंटेनर यानी करीब 2500 टन केले विदेश भेजती है. आलोक अग्रवाल की कंपनी का एक्सपोर्ट बिजनेस मिडिल ईस्ट समेत कई और देशों में फैला है. इस कंपनी के साथ करीब 20 हजार से ज्यादा किसान जुड़े हुए हैं जो अपने बागों में या कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए केले की खेती करते हैं. ये केले से बने कई प्रोडक्ट जैसे बनाना चिप्स और दूसरे स्नैक्स भी बनाते हैं.
कैसे शुरू की केले की खेती?
आलोक अग्रवाल ने 2015 में ट्राइडेंटएग्रो कंपनी को शुरू किया. इससे पहले उन्होंने विदेश में केले एक्सपोर्ट में लॉजिस्टिक्स में काम किया था जिससे उनको आइडिया था कि केले का निर्यात कैसे किया जाता है.स्विट्जरलैंड की एक कंपनी में काम करते वक्त उनको ख्याल आया कि इतना दूर से जब मिडिल ईस्ट के देशों में केला एक्सपोर्ट हो सकता है तो भारत तो दूरी के हिसाब से मिडिल ईस्ट के देशों के काफी करीब है तो क्यों ना इंडियामें ही केले के एक्सपोर्ट का बिजनेस शुरू किया जाये. कंपनी शुरू करने से पहले उन्होंने प्रोडक्शन पैकिंग,वॉल्यूम और माल को कैसे कई दिनों तक रखा जाये इस बारे में स्टडी की.
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शुरू में आईं मुश्किलें लेकिन हिम्मत नहीं हारी
केले की शेल्फ लाइफ बेहद कम होती है और अगर खुले में छोड़ दिया जाये तो सिर्फ 3 दिन में वो खराब हो जाता है. इतना जल्दी खराब होने वाले फल को सिर्फ 45 दिन में पेड़ से तोड़ने के साथ वो एंड कस्टमर तक पहुंच जाये ये काम करना काफी मुश्किल था. इसके अलावा इंडियन केले की क्वालिटी बहुत अच्छे ग्रेड की नहीं थी. जब हरे केले को पकाया जाता है तो वो बहुत अच्छा पककर तैयार नहीं होता, बाकी निर्यातक देशों के मुकाबले उसका कॉस्मिक लुक यानी देखने में भी वो पीछे था और इन वजहों से एक्सपोर्ट में दिक्कत आई. लेकिन अपनी गांरटी के दम पर आलोक ने क्लाइंट को भरोसे में लिया और शुरू में कुछ कंटेनर से एक्सपोर्ट बिजनेस शुरू किया. इसके बाद उनकी मेहनत रंग लायी और धीरे धीरे बिजनेस बढ़ता गया.
किसानों को देते हैं केले की खेती की ट्रेनिंग
केले का एक्सपोर्ट शुरू करने के बाद आलोक ने पुणे शहर के आसपास जो बनाना बेल्ट है वहां के किसानों को ट्रेनिंग देना शुरू किया जिससे वो अच्छी क्वालिटी के केले उगायें और कैसे उनको स्टोर किया जाये इसके बारे में बताते हैं. साथ ही आलोक ने पहली बार किसानों को फ्रूट केयर के बारे में बताया जिससे फलों की फसलों को कम से कम नुकसान पहुंचे. आलोक ने वहां के किसानों को केले की खेती के लिए प्रेरित किया जिसकी बदौलत आज करीब 20 हजार से ज्यादा किसान उनके साथ हैं और रोज नये किसान जुड़ रहे हैं.